भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर भूपेश बघेल का तीखा बयान: कहा- ट्रंप की घोषणा अपमानजनक, दोनों सरकारें करतीं तो सम्मानजनक होता
रायपुरllll
भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका को “अपमानजनक” करार दिया है। उन्होंने कहा कि अगर यह निर्णय भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने आपसी सहमति से लिया होता और घोषणा भी उन्हीं में से किसी एक ने की होती, तो यह देश की संप्रभुता के अनुरूप होता। लेकिन ट्रंप जैसे तीसरे देश के नेता द्वारा इसका ऐलान किया जाना न केवल राष्ट्रीय अस्मिता के खिलाफ है, बल्कि यह विदेश नीति की विफलता को भी उजागर करता है।
“ट्रंप का निर्देश भारत के लिए अपमानजनक”
रायपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए भूपेश बघेल ने कहा, “सीजफायर का निर्णय दोनों देशों के बीच हुआ है, इसमें कोई आपत्ति नहीं है। युद्ध नहीं होना चाहिए, और अगर सरकार इस दिशा में कोई कदम उठाती है तो कांग्रेस पार्टी उसका समर्थन करती है। लेकिन जिस तरीके से यह घोषणा ट्रंप जैसे बाहरी नेता ने की, वह बेहद अपमानजनक है। ऐसा लगता है जैसे भारत कोई स्वतंत्र निर्णय लेने वाला देश नहीं रहा।”
उन्होंने याद दिलाया कि 1971 में जब भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्पष्ट कहा था कि “कोई भी तीसरा देश हमारी संप्रभुता में हस्तक्षेप नहीं करेगा।” उस समय भारत ने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया था कि वह अपने मामलों में किसी की मध्यस्थता नहीं चाहता। लेकिन आज, एक विदेशी नेता न सिर्फ सीजफायर की बात करता है, बल्कि उसे लागू कराने की घोषणा भी करता है — यह देश के गौरव के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
“मध्यस्थता नहीं, पंच बन गए ट्रंप”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी स्तर पर मध्यस्थता की अनुमति देना और पंच की भूमिका स्वीकार करना — यह दो बिल्कुल अलग बातें हैं। भूपेश बघेल ने कटाक्ष करते हुए कहा, “ट्रंप मध्यस्थ नहीं बने, वे तो सीधे पंच बन गए और फैसला भी सुना दिया। यह भारत की स्वतंत्र कूटनीति के लिए चिंता का विषय है। क्या अब भारत अपने फैसलों के लिए वॉशिंगटन की तरफ देखेगा?”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की विदेश नीति हमेशा से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर रही है, लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार ने इसे निर्भरता के रास्ते पर धकेल दिया है, जहां हमारी संप्रभुता पर बाहरी नेताओं की छाया दिखने लगी है।
“विशेष सत्र बुलाए सरकार, देश जानना चाहता है सच्चाई”
भूपेश बघेल ने मांग की कि सीजफायर के संदर्भ में बनी परिस्थितियों को लेकर केंद्र सरकार को तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। उन्होंने कहा, “देश यह जानना चाहता है कि ऐसी स्थिति क्यों और कैसे बनी कि एक विदेशी नेता को भारत-पाक के बीच सीजफायर की घोषणा करनी पड़ी। अगर यह दोनों सरकारों का निर्णय था, तो इसका ऐलान खुद भारत या पाकिस्तान क्यों नहीं कर सकता था?”
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस विषय पर संसद में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए, ताकि देश की जनता को यह पता चल सके कि उनकी सरकार ने किस परिस्थिति में, किन शर्तों पर, और किसके कहने पर यह निर्णय लिया।
“युद्ध नहीं, शांति चाहिए – लेकिन अपनी शर्तों पर”
भूपेश बघेल ने साफ कहा कि कांग्रेस युद्ध की पक्षधर नहीं है। उन्होंने कहा, “हम शांति के पक्ष में हैं, लेकिन वह शांति हमारी शर्तों पर होनी चाहिए, हमारी संप्रभुता के अनुरूप होनी चाहिए, न कि किसी विदेशी नेता के कहने पर।”
उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस पार्टी सीजफायर के निर्णय का विरोध नहीं कर रही है, लेकिन जिस तरह से इसे लागू किया गया और घोषित किया गया, वह राष्ट्रीय गौरव और कूटनीतिक गरिमा के विपरीत है।
“सरकार को जो निर्णय लेना है, ले — कांग्रेस साथ है”
हालांकि अपने बयान में भूपेश बघेल ने सरकार के खिलाफ पूरी तरह से टकराव का रास्ता नहीं अपनाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हर उस कदम में केंद्र सरकार का साथ देगी जो युद्ध रोकने और शांति बहाल करने के उद्देश्य से उठाया गया हो। “सरकार जो भी निर्णय लेना चाहती है, वह ले — कांग्रेस उसके साथ खड़ी है। लेकिन फैसले देश के भीतर से होने चाहिए, न कि बाहर से थोपे जाएं,” उन्होंने कहा।
भाजपा की प्रतिक्रिया का इंतजार
भूपेश बघेल के इस बयान के बाद सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस की ओर से यह अब तक का सबसे सशक्त बयान है जिसमें अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाया गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और केंद्र सरकार इस बयान पर कैसी प्रतिक्रिया देती है। क्या सरकार यह स्पष्ट करेगी कि ट्रंप को इस सीजफायर की जानकारी पहले कैसे मिली, और क्या भारत सरकार ने उन्हें कोई अधिकारिक सहमति दी थी?
भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर भले ही सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद न हो, लेकिन इसे लागू करने के तरीके और खासकर घोषणा के माध्यम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान ने इस मुद्दे को नई राजनीतिक बहस का विषय बना दिया है। उन्होंने न केवल राष्ट्रीय स्वाभिमान और संप्रभुता की बात की, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि **शांति का रास्ता बाहरी दबाव से नहीं, बल्कि आंतरिक निर्णय से तय होना चाहिए।