शिक्षा विभाग में लापरवाह अफसरों पर गिरी गाज: मुख्यमंत्री साय की चेतावनी के बाद महासमुंद डीईओ का तबादला
बोर्ड परीक्षा में खराब प्रदर्शन पर कार्रवाई, शिक्षा व्यवस्था में सुधार के संकेत
रायपुर>> मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति और परिणाम आधारित प्रशासन की दिशा में राज्य सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने महासमुंद जिले के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) एम.आर. सावंत को उनके पद से हटाते हुए उन्हें सहायक संचालक, कार्यालय संभागीय संयुक्त संचालक, शिक्षा विभाग, जगदलपुर के पद पर स्थानांतरित कर दिया है। उनके स्थान पर प्राचार्य विजय कुमार लहरे को महासमुंद का नया प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी नियुक्त किया गया है, जबकि भूपेंद्र कुमार कौशिक को जांजगीर-चांपा के नवागढ़ विकासखंड में बीईओ बनाया गया है।
पृष्ठभूमि: डीईओ एम.आर. सावंत के विरुद्ध शिकायतें पहले से थीं दर्ज
एम.आर. सावंत की नियुक्ति के बाद से महासमुंद जिले की शैक्षणिक स्थिति में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं देखा गया था। बीते दो वर्षों में बोर्ड परीक्षाओं में जिले का परिणाम लगातार गिरावट पर था। इसके अतिरिक्त शिक्षक संघों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा उनके प्रशासनिक कामकाज में उदासीनता और निरीक्षण में लापरवाही को लेकर कई बार शिकायतें की गई थीं। उनके कार्यकाल में समय पर विद्यालय निरीक्षण, शिक्षकों की उपस्थिति और छात्र प्रदर्शन की निगरानी में भारी खामियां देखी गईं।
नवागढ़ के बीईओ रहे विजय लहरे का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है मजबूत
नई नियुक्ति पाए विजय कुमार लहरे को एक कर्मठ और अनुशासित प्रशासनिक अधिकारी के रूप में जाना जाता है। नवागढ़ में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने स्कूली उपस्थिति सुधारने, ड्रॉपआउट दर कम करने और शिक्षकों की जवाबदेही तय करने जैसे कई ठोस कदम उठाए थे। उनके नेतृत्व में नवागढ़ विकासखंड में शिक्षा के परिणामों में लगातार सुधार दर्ज किया गया, जिसकी सराहना शासन स्तर पर भी हुई थी।
भूपेंद्र कुमार कौशिक युवा और ऊर्जावान शिक्षा अधिकारी माने जाते हैं
कौशिक की पहचान एक ऐसे अधिकारी के रूप में है जो योजनाओं के क्रियान्वयन में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। शिक्षकों के बीच उनकी संवाद शैली और विद्यार्थियों के बीच उनका व्यवहारिक जुड़ाव उन्हें लोकप्रिय बनाता है। नवागढ़ जैसे बड़े विकासखंड में उनकी पदस्थापना से शासन को बेहतर परिणामों की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री की सख्ती का असर: सुशासन तिहार की समीक्षा बैठक में चेतावनी
‘सुशासन तिहार’ के तीसरे चरण में महासमुंद जिले की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री साय ने बोर्ड परीक्षा में लगातार खराब प्रदर्शन पर कड़ा ऐतराज जताया था। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट स्वीकार नहीं की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को चेतावनी देते हुए तत्काल प्रभाव से कार्यशैली में सुधार लाने के निर्देश दिए थे।
शिक्षा विभाग की त्वरित कार्रवाई बनी संदेश
शिक्षा विभाग द्वारा की गई यह नियुक्ति और स्थानांतरण की कार्रवाई यह दर्शाती है कि मुख्यमंत्री श्री साय की सरकार केवल चेतावनी देने तक सीमित नहीं है, बल्कि परिणाम न मिलने पर त्वरित और कठोर कदम उठाने में भी पीछे नहीं हटती।
यह तबादले न केवल शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि मुख्यमंत्री साय का शासन अब केवल योजनाओं के कागजी क्रियान्वयन पर भरोसा नहीं करता, बल्कि जमीनी स्तर पर कार्यों की वास्तविकता पर पैनी नजर रखता है। परिणाम देने वाले अधिकारियों को प्रोत्साहन और लापरवाह अफसरों को बाहर का रास्ता दिखाना – यही सरकार की नई कार्य संस्कृति है।