छत्तीसगढ़ में सुशासन तिहार के तीसरे चरण का भव्य शुभारंभआवाज उठ रही है, समाधान मिल रहा है — जनता में बढ़ा विश्वास

रायपुर,>>

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सुशासन का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। शासन और जनता के बीच की दूरी को पाटने की दिशा में चल रहे अभूतपूर्व प्रयासों की श्रृंखला में अब “सुशासन तिहार” अपने तीसरे चरण में प्रवेश कर रहा है। 05 मई से 31 मई तक चलने वाले इस अभियान में राज्यभर में आम जनता की शिकायतों, सुझावों और समस्याओं के समाधान के लिए समाधान शिविर लगाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देश पर प्रारंभ किए गए सुशासन तिहार के इस चरण को लेकर जनता में विशेष उत्साह है। बीते दो चरणों की सफलता ने आमजन को यह विश्वास दिलाया है कि अब उनकी बात न केवल सुनी जा रही है, बल्कि उस पर त्वरित कार्रवाई भी हो रही है। लाखों की संख्या में आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें बेरोज़गारी, राशन, पेंशन, सिंचाई, बिजली, सड़क, चिकित्सा और अन्य जनसेवा से जुड़े विषय प्रमुख रहे हैं।

शासन का यह प्रयास न केवल जनशक्ति को स्वर देने वाला है, बल्कि यह सुशासन की परिकल्पना को जमीनी स्तर पर साकार करने का एक सशक्त माध्यम बन रहा है। खास बात यह है कि इस दौरान केवल शिकायतों को दर्ज करने तक ही सीमित नहीं रहा जा रहा, बल्कि अधिकतर मामलों में मौके पर ही समाधान भी सुनिश्चित किया जा रहा है।

जनता कह रही खुलकर अपनी बात
छत्तीसगढ़ में इन दिनों एक नई राजनीतिक संस्कृति का विकास हो रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के शासन में जनता को अपनी बात खुलकर कहने का अवसर मिल रहा है। शिकायतों का स्तर इस हद तक व्यापक हो गया है कि लोगों ने कुछ मंत्रियों के कामकाज को लेकर भी सवाल उठाए हैं और यहाँ तक कहा है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए। यह लोकतंत्र की जीवंतता का प्रमाण है कि मुख्यमंत्री ने इन आवाजों को दबाने के बजाय, उन्हें सुना और समझा है। सुशासन तिहार ने शासन को पारदर्शिता और जनजवाबदेही की दिशा में मजबूती दी है।

तीसरे चरण की शुरुआत — उत्सव और जागरूकता का संगम
सुशासन तिहार के तीसरे चरण की शुरुआत 05 मई को राजधानी रायपुर के तेलीबांधा तालाब परिसर में एक खास आयोजन के साथ होगी। शाम 6:30 बजे से आरंभ होने वाले इस कार्यक्रम में जहां एक ओर शासन की योजनाओं पर आधारित क्विज और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय कलाकारों द्वारा नृत्य, गायन और कविता पाठ जैसी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी होंगी।

इस आयोजन का उद्देश्य जहां लोगों का मनोरंजन करना है, वहीं उन्हें सरकार की योजनाओं, अधिकारों और उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी भी देना है। प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को मौके पर ही आकर्षक उपहार, डिस्काउंट कूपन और प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।

प्रशासनिक सहभागिता और ज़मीनी पहुंच
प्रदेशभर में जिला, तहसील, पंचायत स्तर पर आयोजित हो रहे समाधान शिविरों में जिला कलेक्टर, एसडीएम, जनपद सीईओ, पंचायत सचिव से लेकर विभागीय अधिकारी तक भागीदारी निभा रहे हैं। इन शिविरों में हर विभाग के प्रतिनिधि उपस्थित रहते हैं ताकि एक ही स्थान पर लोगों की बहुविध समस्याओं का समाधान हो सके। शिकायत दर्ज कराने के लिए मोबाइल ऐप, हेल्पलाइन नंबर और ऑन-द-स्पॉट फार्म भरने की व्यवस्था की गई है।

इन शिविरों में अब तक मिली शिकायतों के निपटारे की दर 75 प्रतिशत से अधिक रही है, जिससे जनता को त्वरित राहत मिली है। यह शिविर न केवल ग्रामीण अंचलों में पहुंच बनाए हुए हैं, बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी विशेष शिविर लगाए जा रहे हैं।

विष्णु शासन में बढ़ रहा भरोसा
मुख्यमंत्री श्री साय की नेतृत्व शैली ने लोगों में यह भरोसा जगाया है कि सरकार अब वाकई जनता की है। खुलापन, संवेदनशीलता और कार्यवाही की गति ने विष्णु देव साय की छवि को जननायक के रूप में स्थापित किया है। लोग खुले मंचों पर अपनी बात रख रहे हैं, और कई बार ऐसी बातें भी सामने आई हैं जो सामान्यतः प्रशासनिक मंचों पर नहीं उठतीं। यह सुशासन का संकेत है कि आवाजों को दबाया नहीं जा रहा, बल्कि उन्हें सम्मानपूर्वक सुना और समझा जा रहा है।

छत्तीसगढ़ के भविष्य के लिए उम्मीद की किरण
सुशासन तिहार के माध्यम से सरकार ने लोगों को यह संदेश दिया है कि “आप अकेले नहीं हैं, सरकार आपके साथ है।” युवा वर्ग, महिलाएं, बुज़ुर्ग और आदिवासी समुदाय— सभी को साथ लेकर चलने की नीति स्पष्ट रूप से झलकती है। मुख्यमंत्री बार-बार कहते रहे हैं कि “हमारा उद्देश्य केवल शासन करना नहीं, बल्कि सेवा करना है।” यही कारण है कि गांव-गांव और शहर-शहर में लोग उम्मीद के साथ सुशासन तिहार का इंतजार करते हैं।

सकारात्मक बदलाव की मिसाल बनता छत्तीसगढ़
ब्यूरोक्रेसी, जनप्रतिनिधि और नागरिक समाज— तीनों की सहभागिता से सुशासन तिहार एक प्रभावी जन-जागरण अभियान बन गया है। इसमें शिकायतों का समाधान, योजनाओं की जानकारी, लाभांवितों की प्रतिक्रिया, और संवाद का सशक्त माध्यम बनकर यह अभियान एक आदर्श बनता जा रहा है, जिसे अन्य राज्य भी मॉडल के रूप में अपना सकते हैं।

आगे क्या?
सरकार की योजना है कि आने वाले समय में सुशासन तिहार को डिजिटल प्लेटफॉर्म से भी जोड़ा जाए ताकि अधिक से अधिक लोग बिना भौगोलिक बाधाओं के अपनी शिकायतें दर्ज कर सकें और लाभ उठा सकें। साथ ही मुख्यमंत्री स्वयं कुछ शिविरों में सरप्राइज विजिट कर रहे हैं ताकि जमीनी सच्चाई से अवगत हो सकें।

छत्तीसगढ़ में सुशासन अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक वास्तविकता बन चुकी है। यह अभियान जनता की आवाज को सत्ता के गलियारों तक ले जाने वाला सेतु बन गया है। सुशासन तिहार न केवल समस्याओं का समाधान है, बल्कि यह जन-आस्था का उत्सव है — एक ऐसा पर्व जो विश्वास को मजबूत करता है और भविष्य को उज्ज्वल बनाता है।

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